मजदूरी को लेकर संगठनों ने दिया श्रमायुक्त को ज्ञापन
कांग्रेस तथा वामपंथी संगठन से जुड़े श्रमिक संगठन मजदूरी को लेकर एक हो गए हैं। उन्होंने वृहस्पतिवर को श्रमायुक्त कार्यालय के माध्यम से श्रम मंत्री को ज्ञापन प्रेषित किया। अजबपुर स्थित श्रमायुक्त कार्यालय में पहले धरना प्रदर्शन किया, उसके बाद ज्ञापन दिया। यह श्रमिक संगठन होटल तथा चाय बगानों के श्रमिकों की मजदूरी को पुन: निर्धारित करने की मांग कर रहे हैं, जिनका नेतृत्व अखिल भारतीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस ने किया।
ज्ञापन के माध्यम से कहा गया कि उत्तराखण्ड राज्य के अंर्तगत विभिन्न जनपदों में स्थित होटलों, चाय बगानों, स्कूल कालेज सहित अन्य असंगठित क्षेत्र के उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों की मजदूरी की न्यूनतम दरों को उत्तराखण्ड शासन, श्रम व सेवायोजन विभाग देहरादून द्वारा 6 मार्च 2013 को अधिसूचना द्वारा निर्धारित किया गया था।
इस निर्धारित न्यूनतम मजदूरी को दरों को पांच वर्ष बाद पुनरीक्षित कर पुन: निर्धारित किया जाता है। जिसकी समय सीमा मार्च माह में समाप्त हो गयी है। परन्तु चार माह बीत जाने के बाद भी अभी तक उत्तराखण्ड शासन, श्रम व सेवायोजन विभाग द्वारा न्यूनतम मजदूरी राज्य सलाहकार बोर्ड का पुर्नगठन नहीं किया गया है। यह असंगठित क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों के प्रति अन्याय है। इस खामी को तत्काल दूर करा जाये। इस अवसर पर विनोद ध्यानी, कामरेड जगदीश कुड़ियाल, बी-बी- भट्ट सहित कई लोग शामिल रहे।
ज्ञापन के माध्यम से कहा गया कि उत्तराखण्ड राज्य के अंर्तगत विभिन्न जनपदों में स्थित होटलों, चाय बगानों, स्कूल कालेज सहित अन्य असंगठित क्षेत्र के उद्योगों में कार्यरत श्रमिकों की मजदूरी की न्यूनतम दरों को उत्तराखण्ड शासन, श्रम व सेवायोजन विभाग देहरादून द्वारा 6 मार्च 2013 को अधिसूचना द्वारा निर्धारित किया गया था।
इस निर्धारित न्यूनतम मजदूरी को दरों को पांच वर्ष बाद पुनरीक्षित कर पुन: निर्धारित किया जाता है। जिसकी समय सीमा मार्च माह में समाप्त हो गयी है। परन्तु चार माह बीत जाने के बाद भी अभी तक उत्तराखण्ड शासन, श्रम व सेवायोजन विभाग द्वारा न्यूनतम मजदूरी राज्य सलाहकार बोर्ड का पुर्नगठन नहीं किया गया है। यह असंगठित क्षेत्र में कार्य कर रहे लोगों के प्रति अन्याय है। इस खामी को तत्काल दूर करा जाये। इस अवसर पर विनोद ध्यानी, कामरेड जगदीश कुड़ियाल, बी-बी- भट्ट सहित कई लोग शामिल रहे।
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