ऋषिकेश में धार्मिक स्थलों द्वारा किए अतिक्रमण पर हाईकोर्ट सख्त, दिए सील करने के आदेश….
देहरादून- उत्तराखंड हाईकोर्ट ने ऋषिकेश में सार्वजनिक भूमि पर बने मंदिर, धार्मिक स्थलों सहित आवासीय भूमि पर बने व्यावसायिक प्रतिष्ठान सील किए जाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने ऋषिकेश में सरकारी भूमि, सड़कों तथा फुटपाथ से अतिक्रमण हटाने के भी निर्देश दिए हैं। ऋषिकेश निवासी अनिल कुमार गुप्ता की याचिका पर कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजीव शर्मा और जस्टिस मनोज तिवारी की बेंच के समक्ष सुनवाई हुई। याची ने आरोप लगाया था कि ऋषिकेश में सरस्वती नाले के ऊपर अतिक्रमण करके दुकानें बना दी गई हैं, जिससे 10 वर्षों से नाले की सफाई नहीं हुई है। याची ने ऋषिकेश पालिका पर सिग्नल लाइट खरीद और भवन कर वसूली में भी भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं। उनका कहना था कि इसके चलते भवन कर वसूली बहुत घट गई है। याचिका के अनुसार साईं मंदिर को जुलाई 2009 में हरिद्वार विकास प्राधिकरण ने ध्वस्त करने के आदेश दिए थे और 2010 में आयुक्त गढ़वाल ने इस आदेश के खिलाफ अपील खारिज कर दी गई थी। फिर भी इसे तोड़ा नहीं गया। इसके अलावा 13 अन्य मंदिर सार्वजनिक सड़कों पर बने हैं। और शहर के घाट मार्ग, भैरों मार्ग, सुदामा मार्ग, मुखर्जी मार्ग, अग्निहोत्री मार्ग, चंद्रेश्वर मार्ग, गोल मार्केट, झंडा चैक सहित तमाम मार्गों सहित राष्ट्रीय राजमार्ग 58 में 145 चिन्हित अतिक्रमण भी नहीं हटाये गए हैं। सरकार की ओर से कोर्ट में बताया गया कि साईं मंदिर मामले में आयुक्त के आदेश के खिलाफ शासन स्तर पर अपील लंबित है। जबकि अन्य 1127 मामलों में नोटिस जारी किए गए हैं। सुनवाई के बाद कोर्ट ने निर्देश दिए कि आवासीय भूमि पर बने व्यावसायिक प्रतिष्ठान सील किए जाएं तथा सड़क व फुटपाथों पर अतिक्रमण के मामलों में तीन हफ्ते में नोटिस जारी कर दो सप्ताह में जवाब मांगा जाए। जिन मामलों में निचली अदालतों से स्टे नहीं है उनका ध्वस्तीकरण किया जाए।
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